दिनांक:- 13/12/2024, शुक्रवार*
*त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,*
*मार्गशीर्ष*
(समाप्ति काल)
तिथि———- त्रयोदशी 19:39:31 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– भरणी 07:49:10
नक्षत्र——— कृत्तिका 29:46:55
योग————- शिव 11:52:57
करण———- कौलव 09:02:35
करण———- तैतुल 19:39:31
करण————– गर 30:17:41
वार———————- शुक्रवार
माह——————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——- मेष 13:18:15
चन्द्र राशि—————– वृषभ
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————– हेमंत
आयन—————–दक्षिणायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————–कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय—————07:02:19
सूर्यास्त————— 17:24:50
दिन काल————-10:22:30
रात्री काल———— 13:38:07
चंद्रोदय————– 15:26:12
चंद्रास्त—————- 29:49:05
लग्न—-वृश्चिक 27°20′ ,237°20′
सूर्य नक्षत्र—————– ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया—————— स्वर्ण
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
लो—- भरणी 07:49:10
अ—- कृत्तिका 13:18:15
ई—- कृत्तिका 18:47:29
उ—- कृत्तिका 24:17:00
ए—- कृत्तिका 29:46:55
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 27°45, ज्येष्ठा 4 यू
चन्द्र=मेष 26°30 , भरणी 4 लो
बुध =वृश्चिक 12°52 ‘ अनुराधा 3 नू
शु क्र= मकर 12°05, श्रवण’ 1 खी
मंगल=कर्क 11°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 21°30 रोहिणी, 4 वू
शनि=कुम्भ 19°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 08°20 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 08°20 उ o फा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 10:56 – 12:14 अशुभ
यम घंटा 14:49 – 16:07 अशुभ
गुली काल 08:20 – 09: 38अशुभ
अभिजित 11:53 – 12:34 शुभ
दूर मुहूर्त 09:07 – 09:48 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:34 – 13:16 अशुभ
वर्ज्यम 18:47 – 20:15 अशुभ
प्रदोष 17:25 – 20:11 शुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 07:02 – 08:20 शुभ
लाभ 08:20 – 09:38 शुभ
अमृत 09:38 – 10:56 शुभ
काल 10:56 – 12:14 अशुभ
शुभ 12:14 – 13:31 शुभ
रोग 13:31 – 14:49 अशुभ
उद्वेग 14:49 – 16:07 अशुभ
चर 16:07 – 17:25 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:25 – 19:07 अशुभ
काल 19:07 – 20:49 अशुभ
लाभ 20:49 – 22:32 शुभ
उद्वेग 22:32 – 24:14* अशुभ
शुभ 24:14* – 25:56* शुभ
अमृत 25:56* – 27:38* शुभ
चर 27:38* – 29:21* शुभ
रोग 29:21* – 31:03* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 07:02 – 07:54
बुध 07:54 – 08:46
चन्द्र 08:46 – 09:38
शनि 09:38 – 10:30
बृहस्पति 10:30 – 11:22
मंगल 11:22 – 12:14
सूर्य 12:14 – 13:05
शुक्र 13:05 – 13:57
बुध 13:57 – 14:49
चन्द्र 14:49 – 15:41
शनि 15:41 – 16:33
बृहस्पति 16:33 – 17:25
🚩होरा, रात
मंगल 17:25 – 18:33
सूर्य 18:33 – 19:41
शुक्र 19:41 – 20:49
बुध 20:49 – 21:58
चन्द्र 21:58 – 23:06
शनि 23:06 – 24:14
बृहस्पति 24:14* – 25:22
मंगल 25:22* – 26:30
सूर्य 26:30* – 27:38
शुक्र 27:38* – 28:47
बुध 28:47* – 29:55
चन्द्र 29:55* – 31:03
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृश्चिक > 03:46 से 06:24 तक
धनु > 06:24 से 08:36 तक
मकर > 08:36 से 10:04 तक
कुम्भ > 10:04 से 11:36 तक
मीन > 11:36 से 13:06 तक
मेष > 13:06 से 14:46 तक
वृषभ > 14:46 से 16:44 तक
मिथुन > 16:44 से 18:56 तक
कर्क > 18:56 से 21:14 तक
सिंह > 21:14 से 23:24 तक
कन्या > 23:24 से 01:50 तक
तुला > 01:50 से 03:58 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
13 + 6 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*प्रदोष व्रत (शिव पूजन)*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
नीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।
।। चा o नी o।।
अगर हो सके तो विष मे से भी अमृत निकाल लें,
यदि सोना गन्दगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाये, धोएं और अपनाये,
निचले कुल मे जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करें,
उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणो से संपनन है और आपको कोई सीख देती है तो गहण करे.