शाहजहांपुर। शाहजहांपुर के ओसीएफ रामलीला मैदान में आयुष गुप्ता हत्याकांड को प्रेम प्रसंग व वर्चस्व की लड़ाई के चलते अंजाम दिया गया। रेस्टोरेंट में खाना खाकर बाहर निकलते समय प्रेमिका के सामने बेइज्जती होने के बाद दोनों गुटों में अहम का टकराव हो गया था। दोनों पक्षों में पहले लाठी-डंडे चले। इसके बाद आयुष को दौड़ाकर गोली मारी गई। एक दिसंबर को आयुष अपनी बाइक पर बैठाकर प्रिंस की पत्नी पलक और साली काजल को लेकर गया था। वहां प्रिंस ने उन्हें साथ देख लिया।
प्रिंस ने उसकी सरेराह गाली-गलौज करते हुए बेइज्जती कर दी थी। दोनों शराब के नशे में बताए गए। पुलिस की जांच में एक नया तथ्य सामने आया कि अगले दिन आयुष ने कॉल कर प्रिंस को बुलाया था। जबकि, पहले यह बताया जा रहा था कि प्रिंस ने आयुष को कॉल की थी। आयुष को उम्मीद नहीं थी कि प्रिंस इतने ज्यादा युवाओं को इकट्ठा कर लेगा। आयुष ने अपने साथियों को कैंट आने को कहा था। उसने पूरी जानकारी नहीं बताई थी। इस वजह से उसके पक्ष के युवा अधूरी तैयारी के साथ पहुंचे। प्रिंस पक्ष के लड़के डंडे और असलाह लेकर पहुंचे थे।
इसी बीच गाली-गलौज का विरोध जताया। विरोध बढ़ने पर असलाह लहराए गए। गाली-गलौज के बाद दोनों पक्षों के लोग भिड़ गए। तीन राउंड फायर किए गए थे। आयुष पक्ष के लोगों में भगदड़ मच गई। पुलिस के अनुसार, भागते समय गोली चलाई, जो आयुष के सिर में लग गई। घटना के बाद हमलावर भाग गए। आयुष को गोली किसने मारी, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। मृतक के परिजन ने अरविंद द्वारा गोली मारने का आरोप लगाया है। वहीं, पुलिस प्रिंस को मुख्य आरोपी मान रही है। प्रिंस की निशानदेही पर ही तमंचा बरामद किया गया है। पुलिस की जांच में स्पष्ट हो गया कि प्रेम-प्रसंग के चलते ही हत्या की घटना को अंजाम दिया गया।
पत्नी पलक व साली काजल जब आयुष की बाइक पर बैठकर घूमने जाते थे तो प्रिंस चिढ़ता था। इसे लेकर प्रिंस व उसकी पत्नी में मनमुटाव हो गया था। आयुष के पिता दिलीप गुप्ता की ओर से 13 नामजद समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। सदर थाने के इंस्पेक्टर रहे रवींद्र सिंह ने घटना के दूसरे दिन ही आशुतोष उर्फ प्रिंस राजपूत, आर्यन उर्फ शुभांकर और मृतक की प्रेमिका काजल को गिरफ्तार कर लिया था। उनके हटाए जाने के बाद नवागत इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह ने धरपकड़ अभियान को शुरू किया।