साहिबाबाद। जैसे ही राजू की पोल खुली, उसके सुर बदल गए। अब वह न तो देहरादून वाले परिवार के साथ जाने के लिए कह रहा है और न ही खोड़ा वाले परिवार के साथ रहना चाह रहा है। उसने हाथ जोड़कर पुलिस से कहा, मैं झाड़ू-पोंछा कर लूंगा, पर मुझे थाने में ही रहने दो, अब किसी के साथ नहीं जाऊंगा, न किसी का बेटा होने का दावा करूंगा, अगर थाने में न रख पाओ तो जेल भेज दो। इससे पुलिस को उस पर शक और गहरा गया।
यह खुलासा तो पहले ही हो चुका है कि उसने देहरादून में मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था। पुलिस ने इसकी जानकारी जुटा ली है। उसका मोबाइल नंबर मिल गया है। इसकी कॉल डिटेल निकलवाई गई है। इससे पता चल जाएगा कि वह किस किसके संपर्क में रहा। उसने खुद को खोड़ा के जिस परिवार का बेटा बताया था, उसने उसे रखने से इनकार कर दिया है। इस परिवार के लोगों को कहना है कि अगर डीएनए परीक्षण में वह उनका बेटा निकलता है, तभी उसे साथ रखेंगे।
राजू 24 नवंबर को खोड़ा पहुंचा था। उसने बताया था कि 12 साल की उम्र में उसका यहां से अपहरण हुआ था। 20 साल उसे जैसलमेर में बंधक बनाकर रखा गया। तीन दिन बाद शहीद नगर निवासी लीलावती ने उसे अपने लापता बेटे के रूप में पहचाना था। तब राजू ने कहा कि वह 31 साल पहले लापता हुआ था। लीलावती और उनके परिवार के लोग राजू को अपना बेटा मानकर खुशी मना रहे थे एक दिसंबर को देहरादून से कपिल देव शर्मा और उनकी पत्नी आशा शर्मा ने शहीदनगर पहुंचकर बताया कि राजू की कहानी झूठी है।
वह यहां आने से पहले पांच महीने तक उनके पास रहा। उन्हें भी उनका लापता हुआ बेटा बनकर मिला था। दिल्ली में काम के बहाने भाग गया था। इस पर पुलिस ने पूछताछ की तो वह चुप्पी साध गया। पुलिस उसे थाने ले आई तो जिद करने लगा कि अब कहीं नहीं जाना। पुलिस की सख्ती पर उसने कुबूल किया कि वह देहरादून में भी रहा था। डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल का कहना है कि राजू को थाने में ही रखा गया है। उसके मोबाइल की काॅल डिटेल निकलवाई गई है। शहीदनगर का परिवार अपने खर्च पर डीएनए टेस्ट के लिए राजी है। इस मामले का सच जल्द ही सामने आ जाएगा।
राजू की कहानी सामने आने के बाद खोड़ा के लोग यही सवाल कर रहे हैं कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया। जब उसे देहरादून के परिवार ने अपना बेटा मान लिया था तो उसे वहां से भागने की जरूरत क्या थी और क्या वह कहीं और भी ऐसा कर चुका है।
बार-बार बदल रहा बयान
1. राजू ने पहले बताया कि उसे जैसलमेर में 20 साल बंधक बनाकर रखा गया। बाद में उसने कहा कि उसे 31 साल कैद में रखा गया। देहरादून का परिवार आने पर उसने कुबूल किया कि वहां भी पांच महीने रहा था।
2. राजू ने खोड़ा के परिवार से कहा कि उसे जंगल में रखा गया। उसने कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया। देहरादून का परिवार आने पर पता चला कि वह पांच महीने से मोबाइल फोन चला रहा था।
3. राजू ने खोड़ा में बताया कि 12 साल की उम्र में उसका अपहरण खोड़ा से किया गया था। देहरादून में पांच महीने पहले उसने कहा था कि वह 16 साल पहले परिवार से बिछड़ गया था।
4. राजू ने खोड़ा में बताया कि उसे जैसलमेर में रखा गया। इसी तरह की कहानी उसने देहरादून में बताई थी। वहां कहा था कि उसे जैसलमेर से काफी दूर रखा गया। उसने दोनों जगह उसे बंधक बनाने वाले लोगों के अलग अलग नाम बताए।
5. वह देहरादून में पांच महीने पहले थाने पहुंचा था और कहा था कि ब्राह्मणवाला इलाके में उसका परिवार रहता है। उसे खोजने में मदद की जाए। इसी तरह उसने खोड़ा थाने में आकर कहा, इसी कस्बे में उसका परिवार रहता है, वह उसे ढूंढने आया है।
6. खोड़ा में वह राजू बनकर आया। उसे अपना गुम हुआ बेटा मानने वाले परिवार ने कहा कि उनके बेटे का नाम पन्नू था। इस पर राजू ने कहानी बना दी कि अपहरण करने वाले लोगों ने उसका नाम पन्नू से बदलकर राजू कर दिया था।