देहरादून। स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों की घर पर ही पहचान की जा सकती है। समय रहते बीमारी का पता चलने से पूरी तरह से इलाज की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। स्तन कैंसर की बीमारी से महिला हो या पुरुष कोई भी अछूता नहीं है, हालांकि पुरुषों में इसके लक्षण एक प्रतिशत से कम हैं।
स्तन कैंसर में स्तन में गांठ का बनने जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं। पहले स्तन कैंसर का जोखिम 40 से अधिक उम्र की महिलाओं में अधिक देखने को मिलता था, लेकिन अब 25 साल की युवतियों भी इससे पीड़ित हो रही हैं।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दौलत सिंह बताते हैं कि स्तन कैंसर में कोशिकाओं में असामान्य परिवर्तन होते हैं। इससे कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं जो स्वयं शरीर का पोषण लेकर दूसरे अंगों तक फैल जाती हैं और अंगों को कमजाेर करती हैं। इसका कारण आनुवंशिक होने के साथ ही वसायुक्त भोजन करना, 30 साल के बाद बच्चों का होना, स्तनपान न कराना, व्यायाम न करना, शराब और तंबाकू का सेवन करना, गर्भ निरोधक हार्मोन की गोलियां खाना है।
खानपान और दिनचर्या में बदलाव करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। डॉ. दौलत सिंह ने बताया कि दून अस्पताल में साल 2023 में 50 से 60 मरीजों का उपचार चला। इस साल भी प्रतिमाह पांच से छह नए मरीज अस्पताल आ रहे हैं। बताया, अस्पताल में स्तन कैंसर के परीक्षण के लिए कीमोथैरिपी, हार्मोनथैरिपी, टारगेट थैरिपी, इम्यूनोथेरिपी की सुविधा उपलब्ध है।
श्रीमहंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज गर्ग बताते हैं कि रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार विश्व में स्तन कैंसरों में करीब 11 फीसदी मामले 45 वर्ष से कम आयु में रिपोर्ट किए जाते हैं। हर साल दुनियाभर में 40 वर्ष से कम आयु की एक हजार से अधिक महिलाओं की स्तन कैंसर से मौत हो जाती है। वर्तमान समय में स्तन कैंसर पर शोध चल रहा है। इससे बीमारी के सटीक कारणों का पता चल सकेगा। बताया, स्तन कैंसर के मरीजों की सालाना संख्या 100 से 150 है। बताया, अस्पताल में अभी 25 साल की दो युवतियों का इलाज चल रहा है।
डॉ. दौलत सिंह बताते हैं कि स्तन कैंसर होने से पहले ही घर पर पता लगाया जा सकता है। इसके लिए मासिक धर्म के पांच या सात दिन बाद ब्रेस्ट सेल्फ-एग्जामिनेशन करके पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया, लोगों को समय-समय पर जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं जिसमें एग्जामिनेशन की पूरी प्रक्रिया समझाई जाती है। यदि किसी व्यक्ति की स्तनों में हल्की गांठ महसूस होने लगती है तो वह चिकित्सकीय परामर्श लेते हैं। जिसके बाद मरीज की मेमोग्राफी से पता लगाया जाता है।
नई गांठ का उभरना, स्तन के किसी भाग में सूजन हाेना, त्वचा में जलन या गड्ढे पड़ना, निप्पल या स्तन में लालिमा होना, निप्पल क्षेत्र में दर्द होना, निप्पल से खून निकलना या अन्य प्रकार का स्राव होना, आकार या आकृति में परिवर्तन होता है।