देहरादून। जीएसटी चोरी करने वाली फार्मा कंपनियों पर राज्य कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में नौ फार्मा कंपनियों पर छापा मारा है। इनमें चार कंपनियां फर्जी पाई गईं। प्रारंभिक कार्रवाई में 6.4 करोड़ की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है।
फार्मा कंपनियों ने अपनी गलती स्वीकारते हुए 30 लाख का टैक्स जमा किया है। विभाग ने कंपनियों के 2.43 करोड़ की आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) रोक दी है। साथ ही बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं। राज्य कर आयुक्त एवं अपर सचिव अहमद इकबाल ने बताया कि शनिवार को विभाग की सीआईयू टीम ने जीएसटी चोरी करने वाली फार्मा मेन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग कंपनियों पर छापा मारा।
इस कार्रवाई में देहरादून, हरिद्वार व रुड़की की तीन-तीन कंपनियों के टैक्स संबंधित दस्तावेजों की गहन जांच की गई। जीएसटी में पंजीकृत चार कंपनियां सिर्फ कागजों में चल रही हैं। फर्जी कंपनियों के नाम से बिल बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेकर सरकार को राजस्व की चपत लगाई जा रही थी।
कंपनियों ने दवाइयों की पैकेजिंग सामग्री और अन्य सामान की सप्लाई दिल्ली, गुजरात व मध्य प्रदेश की कंपनियों से दर्शाई है। दस्तावेजों में माल परिवहन के कोई प्रमाण नहीं मिले। गुजरात में जिस फर्म के नाम से माल आपूर्ति के बिल बनाए जा रहे थे, उसका कोई कारोबार नहीं मिला।
जांच में खुलासा हुआ कि फार्मा कंपनियों की ओर से ई-वे बिलों में दिल्ली से पैकेजिंग सामग्री की सप्लाई दिखाई गई। इसमें दिल्ली से ऑटो में 30 लाख की माल परिवहन दिखाया गया। इतनी बड़ी राशि का माल ऑटो में परिवहन करना संभव नहीं है। इसके अलावा जिस ई-वे बिल में दिल्ली से माल उत्तराखंड के दर्शाया गया उस पर माल दूसरे राज्यों में भेजा गया।
राज्य कर विभाग की जांच में यह भी खुलासा हुआ है फार्मा कंपनियों ने दिल्ली में जिस कंपनी से मेडिकल का सामान की आपूर्ति दर्शाई है वह स्क्रैब का कारोबार करती है। कबाड़ का काम करने वाली कंपनी दवाइयों के पैकेजिंग व अन्य सामान की सप्लाई कैसे कर सकती है। विभाग इन सभी मामलों की जांच कर रही है।