देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान शिव का वास है। देवभूमि उत्तराखंड अनेक मंदिरों, तीर्थस्थलों, ऋषि-मुनियों की तपोभूमि के रूप में अपनी विशेष पहचान रखता है। मान्यता है कि यहां के शिवालय दर्शनमात्र से ही श्रद्धालुओं का कष्ट हरते हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में केदारनाथ बाबा विराजमान हैं तो कुमाऊं मंडल में जागेश्वर धाम जैसा विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
देहरादून जिले में चकराता छावनी बाजार में श्री चिंताहरण महादेव मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की चिंता दूर हो जाती है। इसके चलते क्षेत्रवासियों सहित बाहर के लोग भी यहां पहुंचते हैं। मंदिर के चारों ओर मनमोहक बांझ, बुरांस, चीड़ और देवदार के पेड़ हैं। मंदिर के पास जलकुंड भी स्थित है। इस कारण इसे बावड़ी मंदिर भी कहा जाता है।
मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है, जो आकार में अन्य शिवलिंग से काफी बड़ा है। मंदिर के बाबा सिद्धेश्वर गिरी महाराज बताते हैं कि मंदिर में विराजमान शिवलिंग स्वयंभू है, जब शिवलिंग प्रकट हुआ, तब यह आकार में इतना बड़ा नहीं था। उन्होंने दावा किया कि अब महादेव धीरे-धीरे अपना आकार बदल रहे हैं।
बताते हैं कि मंदिर का नाम चिंताहरण महादेव इसलिए भी पड़ा, जो लोग काफी परेशानियों में थे, वे यहां आए और उन्हें हर चिंता का निवारण मिला। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में सच्चे दिल से जो कोई प्रार्थना करता है, महादेव उसकी चिंता दूर करते हैं। श्री चिंताहरण महादेव मंदिर के प्रति स्थानीय लोग व क्षेत्रवासियों की अटूट आस्था है। यहां पर शिवरात्रि के दिन सैकड़ों की संख्या में भक्तजन आते हैं।
मान्यता यह भी है कि जो श्रद्धालु एक बार महादेव के दर्शन को आता है, वह फिर बार-बार आता रहता है, क्योंकि उसकी सारी चिंताएं महादेव के दर्शन मात्र से दूर हो जाती है।