रुद्रपुर। उत्तराखंड संयुक्त किसान मोर्चा के राज्य स्तरीय सम्मेलन में ऐलान किया गया कि जब तक बाजपुर के 20 गांवों की भूमि की समस्या का हल नहीं होगा तब तक मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद के स्वागत समारोह का विरोध किया जाएगा। तय हुआ कि एक अगस्त से बाजपुर तहसील में भूमि बचाओ आंदोलन को शुरू किया जाएगा।
रविवार को उत्तराखंड संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से रुद्रपुर की गल्ला मंडी में राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से भारतीय किसान यूनियन, तराई किसान संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, भूमि बचाओ मुहिम बाजपुर, किसान संघ, किसान यूनियन अन्नदाता आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सदस्य और तराई किसान संगठन के उत्तराखंड प्रभारी तजिंदर सिंह विर्क ने कहा की केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के स्थगित होने के समय किसानों के साथ जो वादे किए थे, सरकार उन वादों से मुकर गई है।
किसानों ने आंदोलन समाप्त नहीं किया, बल्कि स्थगित किया था। कहा कि देश भर के किसान संगठनों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को फिर से शुरू कर दिया है। कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, बिजली विधेयक 2020, किसानों को फसल बीमा, आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लेने, लखीमपुर कांड के मुख्य दोषी केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त करने, आंदोलन के दौरान शहीद परिवारों को मुआवजा देने की मांगों को लेकर किसान इन सम्मेलनों के माध्यम से सरकार से हिसाब मांगने का काम करेंगे। प्रदेश की मांगों को लेकर 26 जुलाई को प्रदेश भर में तहसील स्तर पर सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा।
तराई को उजाड़ने का षड्यंत्र रच रही सरकार : बाजवा
रुद्रपुर। सम्मेलन में भूमि बचाओ मुहिम के संयोजक जगतार सिंह बाजवा ने कहा की बाजपुर के 20 गांवों की 5838 एकड़ से अधिक भूमि पर बसे किसानों का मालिकाना हक सरकार ने छीन लिया है। सरकार तराई को उजाड़ने का षड्यंत्र रच रही है, जिसको सफल नही होने दिया जाएगा। सरकार यदि वास्तव में उत्तराखंड के किसानों के प्रति चिंतित है, तो पहले उन किसानों को मालिकाना हक दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पंजाब, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा दे। वहीं किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाए।
सरकार ने किसानों से किया झूठा वादा : अवतार सिंह
रुद्रपुर। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष जगीर सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार वन अधिनियम 2023, सिंचाई भूमि व अन्य भूमि पर बसे किसानों को उजाड़कर किसान विरोधी मानसिकता को उजागर कर रही है। सरकार को गन्ने का मूल्य 450 प्रति क्विंटल और चीनी मिल का निजीकरण बंद करना चाहिए। किसान यूनियन एकता उगरहां के प्रदेश अध्यक्ष अवतार सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों की 2022 में आय दोगुनी करने का जो झूठा वादा किया था। उसका हिसाब अब प्रदेश के किसान सरकार से मांगेंगे। कहा कि किसान की आय कम होने के साथ ही उस पर कर्ज भी बढ़ा है। उन्होंने कहा की नौ अगस्त को कॉरपोरेट भगाओ, गांव खेती बचाओ के उद्घोष के साथ देश भर में किसान संगठन कार्यक्रम करेंगे।