देहरादून। भूकंप के लिहाज से संवेदनशील देहरादून में पहली बार मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने डिजिटल मास्टर प्लान में फाल्ट लाइन प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया है। इन इलाकों में बहुमंजिला भवन बनाना प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही भवन निर्माण का पैमाना भी तय कर दिया गया है।
इसके तहत, भूकंप के लिहाज से सुरक्षित मकान बनाए जा सकेंगे और नक्शा पास करने में फाल्ट लाइन का खास ध्यान रखा जाएगा। दून घाटी में राजपुर रोड, सहस्त्रधारा और शहंशाही आश्रम से मेन बाउंड्री थ्रस्ट फाल्ट लाइन और मोहंड के आसपास के इलाके से हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट फाल्ट लाइन गुजरती है।
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में 29 अन्य भूकंपीय फाल्ट लाइनें हैं। एमडीडीए ने उन सभी क्षेत्रों को फ्रंटलाइन के तौर पर चिन्हित किया है। चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि यह पहला मौका है, जब देहरादून के डिजिटल मास्टर प्लान में फ्रंटलाइन एरिया को चिन्हित किया गया है। अब इन इलाकों में फाल्ट लाइन के खतरों से बचाने में सक्षम भवनों का निर्माण हो सकेगा। वहीं, बहुमंजिला भवनों के नक्शे पास नहीं होंगे। अधिकतम ग्राउंड प्लस दो फ्लोर के मकान ही बनाए जा सकेंगे।
यह है फाल्ट लाइन
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत सात बड़े टुकड़ों से बनी है। इन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। इनकी सीमाएं फाल्ट लाइन कहलाती हैं। पृथ्वी की सतह में एक लंबी दरार है। भूकंप आमतौर पर फॉल्ट लाइन के बीच किसी भी तरह की हलचल से आता है। जब प्लेट टकराती हैं तो घर्षण की वजह से ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश करती है। इससे जो हलचल होती है, उससे भूकंप आता है। देहरादून के बीच से यह फाल्ट लाइन गुजरती है।
भूकंप से बचाती हैं ये विधियां
बेस आइसोलेशन : इसमें इमारत के नीचे रबर, स्टील और लेड के आइसोलेटर्स लगाए जाते हैं। यह विधि भूकंपीय तरंगों को अवशोषित करने में प्रभावी है। यह तरंगों को इमारत में आगे बढ़ने से रोकता है।
शीयर वॉल : शीयर वॉल इमारतों को बनाने की प्रभावी तकनीक है। इससे भूकंप के झटके को रोकने में मदद मिलती है। यह कई पैनलों से बनी होती है। भूकंप के दौरान इमारत को टिके रहने में मदद करती है।
मोमेंट रेसिस्टेंट फ्रेम्स : मोमेंट रेसिस्टेंट फ्रेम्स बिल्डिंग के डिजाइन में प्लास्टिसिटी प्रदान करता है। इसे इमारत के जोड़ों के बीच रखा जाता है। इसके अलावा यह बीम और स्तंभों को मोड़ने में सक्षम बनाता है।