देहरादून। पेयजल स्रोतों के सूखने के साथ ही राज्य में पेयजल संकट भी शुरू हो गया है। कालोनियों में पेयजल आपूर्ति बाधित होने लगी है। देहरादून और नैनीताल जिले में सबसे ज्यादा संकट दिख रहा है। जल संस्थान के पास रोजाना औसतन 155 शिकायतें आ रही हैं, जिनमें से पेयजल आपूर्ति बाधित होने की सबसे ज्यादा शिकायतें शामिल हैं।
राज्य में वैसे तो हर साल अप्रैल के आखिर से पेयजल संकट बढ़ना शुरू होता है। मई और जून में चरम पर होता है। लेकिन इस बार सर्दियों के सीजन में बारिश न होने, पेयजल स्रोतों के सूखने के कारण मार्च महीने से ही इसकी शुरुआत हो गई है। जल संस्थान के पास शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
रोजाना औसत 155 शिकायतों में से सबसे ज्यादा पेयजल आपूर्ति न होने की हैं। बाकी शिकायतें गंदा पानी, लीकेज आदि से संबंधित भी हैं। देहरादून और नैनीताल जिले के हल्द्वानी की कालोनियों में पेयजल आपूर्ति बाधित होने लगी है। दून में पेयजल आपूर्ति की शिकायत वाली जगहों में पटेलनगर, ईसी रोड, घंटाघर, रेसकोर्स, राजपुर रोड, राजेंद्र नगर, क्लेमेंटटाउन, डालनवाला जैसे इलाके शामिल हैं।
पर्वतीय जिलों में भी हालात बिगड़ने लगे हैं। उत्तरकाशी व पौड़ी में पेयजल संकट का प्रभाव ज्यादा नजर आ रहा है। वहीं, कुमाऊं के पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा जिले में भी पेयजल किल्लत होने लगी है। हालात को देखते हुए गढ़वाल मंडलायुक्त सुशील कुमार ने प्रदेशभर में पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश जारी किए हैं। यही नहीं चारधाम यात्रा मार्गों पर खासतौर से ध्यान देने के लिए भी कहा गया है।
बीते वर्षों के पेयजल संकट पर एक नजर
-राज्य में वर्ष 2022 में 371 कालोनियों में हुई पेयजल समस्या। 172 टैंकरों से हुई आपूर्ति।
-वर्ष 2021 में 379 कालोनियों में पानी की कमी रही। जहां 224 टैंकरों से आपूर्ति की गई।
-2020 में 230 कालोनियों में पेयजल किल्लत हुई। 111 टैंकरों से की गई आपूर्ति।
-दून, नैनीताल में सबसे ज्यादा होती है पेयजल किल्लत।
-2022 में दून में 194 और नैनीताल जिले में 48 कालोनियों में पेयजल संकट हुआ।