देहरादून। भर्ती घोटालओं की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर बेरोजगार युवाओं का राजधानी में बुधवार को भी प्रदर्शन जारी है। शहीद स्मारक पर धरने पर बेरोजगार युवा मामले में सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हैं। वहीं दूसरी तरफ बीते दिनों बेरोजगार युवाओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में महिला कांग्रेस कार्यकर्ता सचिवालय कूच करने पहुंची।
सचिवालय कूच करने जा रही महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से तीखी झड़प हुई। पुलिस द्वारा सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर कार्यकर्ताओं को रोका गया। वहीं पथराव और उपद्रव के मामले में बॉबी समेत सात की जमानत पर फैसला फिर एक दिन के लिए टल गया।
पुलिस ने जमानत का विरोध किया और पुलिस अफसरों को अस्पतालों में भर्ती बताते हुए मुकदमे में फिर से आईपीसी की धारा 307 (जानलेवा हमला) शामिल करने की मांग की। बचाव पक्ष के विरोध के बाद अदालत ने बुधवार (आज) तक पुलिस को घायलाें के इलाज के दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए। अब अदालत आरोपियों की जमानत पर बुधवार को फैसला सुनाएगी।
सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट में मंगलवार को बॉबी समेत सात की जमानत पर अभियोजन और बचाव पक्ष में जोरदार बहस हुई। आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अदालत से जमानत की मांग की। इसके विरोध में अभियोजन की ओर से उपद्रव के दिन के कुछ फोटो, वीडियो और अगले दिन की अखबारों की कटिंग पेश की गई।
अभियोजन की ओर से कहा गया कि पथराव में एसओ प्रेमनगर, एसआई संतोष और सीओ प्रेमनगर आशीष भारद्वाज गंभीर रूप से घायल हैं। इनका सुभारती और दून अस्पताल में इलाज चल रहा है। लिहाजा, इस मुदकमे में पहले काटी गई धारा 307 को भी बढ़ाया जाए। लेकिन, इसके संबंध में कोई मेडिकल रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की गई। इसके लिए पुलिस ने वक्त की मांग की। बचाव पक्ष की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि पुलिस इस मामले को जानबूझकर टाल रही है। इससे अनावश्यक रूप से बॉबी समेत सभी युवाओं को जेल में रखा जा रहा है।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पुलिस को एक दिन का समय मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिया है। बता दें कि 10 फरवरी को पुलिस ने धारा 307 में न्यायिक अभिरक्षा रिमांड मांगा था। लेकिन, कोर्ट ने जानलेवा हमले की धारा को हटाकर गंभीर हमले की धारा 324 में रिमांड मंजूर किया था।
परीक्षा देने के आधार पर न्यायालय ने गत 11 फरवरी को छह युवाओं की जमानत मंजूर कर दी थी। लेकिन, उन्होंने बेल बॉन्ड नहीं भरा था। ऐसे में उन्हें रिहा नहीं किया जा सका। इस पर अब पुलिस ने सभी की जमानत रद्द करने की मांग अदालत से की। पुलिस ने तर्क दिया कि युवाओं ने परीक्षा देने से इन्कार कर दिया था। ऐसे में उन्हें मिली जमानत को रद्द कर दिया जाए। इस पर बचाव पक्ष की ओर से इस प्रार्थना पत्र की दूसरी प्रति न होने की बात अदालत से कही गई। इसके लिए भी अदालत ने अभियोजन को एक दिन का वक्त दे दिया।