भारत नेट-2 परियोजना को लेकर सर्वेक्षण हो चुका है। फिलहाल केंद्र सरकार ने परियोजना को रोका है। जैसे ही आगे के निर्देश मिलेंगे, उसी हिसाब से काम होगा।
– नितिका खंडेलवाल, निदेशक, आईटीडीए।
देहरादून। उत्तराखंड की 5991 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने की योजना लटक गई है। केंद्र सरकार ने दो साल पहले भारत नेट-2 परियोजना के लिए 2000 करोड़ रुपये मंजूर किए थे लेकिन योजना अब तक परवान नहीं चढ़ी। इसीलिए केंद्र ने योजना को फिलहाल रोक दिया है।
उत्तराखंड की ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जाेड़ने के लिए भारत नेट परियोजना के फेज-1 का काम पूरा हो चुका है। इसकी जिम्मेदारी भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) पर थी। पहले चरण में 11 जिलों के 25 ब्लॉक की 1865 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ा गया।
फेज-2 के तहत प्रदेश के 12 जिलों में 65 ब्लॉक के तहत 5991 ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचाया जाना था। हरिद्वार में यह काम पूरा हो चुका है। केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए वर्ष 2020 में 2000 करोड़ मंजूर किए थे। ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए 50 लाख रुपये खर्च कर इंफार्मेशन टेक्नोलाजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) ने सर्वेक्षण भी कराया था। दूरसंचार मंत्रालय ने फेज-2 के लिए सहमति प्रदान की है।
इसका क्रियान्वयन आइटीडीए को करना था। लेकिन अब तक काम शुरू नहीं होने पर केंद्र सरकार ने परियोजना को रोक दिया है। बताया जा रहा है कि अब बीएसएनएल (बीबीएनएल का विलय हो चुका) को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है।
परियोजना से प्रदेश में ई-गवर्नेंस, ई-ऑफिस, ई-डिस्ट्रिक्ट, ई-हेल्थ, टेली मेडिसन, ई-एजुकेशन, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सुविधाएं लोगों को मिलेंगी। इससे उन्हें स्वावलंबी बनने में सहायता मिलेगी और स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे। ई-हेल्थ के माध्यम से दूरदराज के गावों के लोग सीधे अस्पतालों से जुड़कर इलाज करा सकेंगे। छात्र घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे और लोगों को घर बैठे बैंकिंग सुविधाएं मिलेंगी। इंटरनेट के जरिये किसानों को फसलों, दवाओं, भंडारण और फसल मूल्य की जानकारी मिल सकेगी। साथ ही फसलों और कृषि उत्पादों को ऑनलाइन बेच सकेंगे।