हम मुख्यमंत्री के आभारी हैं कि उन्होंने महिला क्षैतिज आरक्षण पर निर्णय लिया। पूरी उम्मीद है कि ऐसी ही राजनीतिक इच्छाशक्ति वह राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण के लिए दिखाएंगे। आशा है कि आज कैबिनेट इस मामले में निर्णय लेगी।
– रविंद्र जुगरान, भाजपा नेता, व राज्य आंदोलनकारी
राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के मामले में सरकार के सामने अधिसूचना जारी करने या कानून बनाने के विकल्प हैं। हम आशा करते हैं कि इस मामले में मुख्यमंत्री अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश देंगे।
– क्रांति कुकरेती, राज्य आंदोलनकारी
देहरादून। राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के मामले में सरकार पसोपेश में है। एक तरफ राज्य आंदोलनकारियों का हित है तो दूसरी ओर सांविधानिक प्रावधान। महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण पर विधेयक पारित होने के बाद राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार पर आरक्षण बहाल कराने को लेकर दबाव बना दिया है।
आंदोलनकारी मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में क्षैतिज आरक्षण के प्रस्ताव की उम्मीद कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राज्य आंदोलनकारियों के मामले में सकारात्मक कार्रवाई का भरोसा दे चुके हैं। लेकिन शासन स्तर पर अभी यह सोच विचार चल रहा है कि क्षैतिज आरक्षण के लिए सरकार अधिसूचना जारी करे या महिला क्षैतिज आरक्षण की तरह विधेयक लाकर इसे कानूनी जामा पहना दे। राज्य आंदोलनकारी संगठनों की मांग और सीएम के निर्देश के बाद अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें यह तय हुआ कि इस संबंध में न्याय विभाग से परामर्श लिया जाए।
सूत्रों के मुताबिक, न्यायिक परामर्श राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण के पक्ष में नहीं है। राजभवन से विधेयक भी इस टिप्पणी के साथ लौटा है कि क्षैतिज आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है। न्यायिक परामर्श के बाद ही राजभवन ने विधेयक को लौटाने की यह वजह बताई है। राजभवन की यह टिप्पणी ही सरकार की सबसे बड़ी उलझन बनी हुई है।
राज्य आंदोलनकारियों का मानना है कि महिला क्षैतिज आरक्षण के मामले में भी न्याय विभाग का परामर्श प्रतिकूल था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई तो विधेयक पारित हो गया। इसी तरह की इच्छाशक्ति राज्य आंदोलनकारियों के मामले में दिखाई जानी चाहिए।