कोर्णाक सूर्य मंदिर उड़ीसा में स्थित है। यह जगन्नाथ पुरी से 35 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसे सन् 1949 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी थी। यह भव्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया है। यह मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण द्वापर युग में श्रीकृष्ण के बेटे सांब ने करवाया था। मान्यता के अनुसार श्राप के कारण सांब को कोढ़ रोग हो गया था। साम्ब ने कोणार्क के मित्रवन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर 12 वर्षों तक तपस्या की। उनकी तपस्या से सूर्यदेव प्रसन्न हुए और उनको रोग मुक्त कर दिया।
अपने रोग से मुक्ति पाने के लिए साम्ब ने चंद्रभागा नदी में स्नान किया, जहाँ उसे एक सूर्यदेव की मूर्ति मिली। इस मूर्ति को सूर्यदेव के शरीर के ही भाग से बनाया गया था। मान्यता के अनुसार इसे श्री विश्वकर्मा जी ने बनाया था। मूर्ति मिलने के बाद साम्ब ने सूर्यदेव का मंदिर बनाने का निर्णय लिया। इस तरह कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ।
यह मंदिर सूर्य देवता के रथ के आकार का बनाया गया है। कोर्णाक मंदिर में सूर्य देवता के रथ की तरह घोड़े और पहिए हैं। यह मंदिर बेहद खूबसूरत और भव्य है। यहां पर दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। यहां की सूर्य मूर्ति को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। यह मंदिर समय की गति को दर्शाता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार मुस्लिम आक्रमणकारियों पर सैन्यबल की सफलता का उत्सव मनाने के लिए राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन 15वीं शताब्दी में मुस्लिम सेना ने यहां लूटपाट मचा दी, जिससे मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया। फिर 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत पुनर्निर्माण का काम हुआ और इसी में सूर्य मंदिर खोजा गया।