देहरादून। राज्य की करीब 7950 ग्राम पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों के विकास के लिए इस साल 657 करोड़ रुपये का अनुदान नहीं मिल पाया है। यह अनुदान 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत मई तक जारी हो जाना चाहिए था, लेकिन अनुदान के लिए तय शर्तें पूरी न होने की वजह से धनराशि केंद्र में अटकी है।
समय पर शर्तें पूरी हो गई होतीं तो इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में मई तक राज्य को अनुदान राशि जारी हो जाती, लेकिन सात महीने बाद भी केंद्र से इस मद में एक पाई भी जारी नहीं हुई है। नतीजा यह हुआ कि इस वित्तीय वर्ष में शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को विकास कार्यों के लिए धनराशि नहीं मिल पाई है।
करोड़ों का अनुदान लटकने से शासन की पेशानी पर बल है। वित्त विभाग ने पंचायती राज विभाग और शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाकर मसले की समीक्षा की और सभी शर्तों को इस महीने के अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए। पिछले वर्ष चूंकि कोई शर्त लागू नहीं थी, इसलिए शहरी निकायों को 209 करोड़ और पंचायती राज संस्थाओं को 425 करोड़ रुपये केंद्र से जारी हो गए, लेकिन इस साल शर्तों का ब्रेक लग जाने से अनुदान अटक गया।
शर्तें जिनके कारण फंसा है पेच
- 25 फीसदी निकायों की ऑनलाइन ऑडिट रिपोर्ट नहीं भेजी।
- पिछली किस्तों के उपयोगिता की रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं कराई।
- शहरी निकायों में संपत्ति कर संग्रह में सुधार की रिपोर्ट नहीं दी।
जो शर्तें पूरी हो चुकीं
- शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती संस्थाओं के खाते लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) पोर्टल से लिंक हो गए।
- अनुदान हस्तांतरण प्रमाण पत्र भी अपलोड कर दिए गए।
- राज्य वित्त आयोग की एक्शन टेकन रिपोर्ट विस के पटल पर रख दी।
पंचायती राज संस्थाओं का ऑडिट शुरू हो गया है। नवंबर तक हम ऑडिट की रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध करा देंगे। हमें आशा है कि दिसंबर में अनुदान की राशि जारी हो जाएगी।
– बंशीधर तिवारी, अपर सचिव व निदेशक (पंचायती राज)