देहरादून। अब सीजनल कामों में लगे वाहन स्वामियों को बेवजह टैक्स जमा नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने उनके परमिट सरेंडर करने की समयसीमा दोगुनी कर दी है। वहीं, वाहनों की नीलामी के लिए वरिष्ठ आरटीओ की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने पर मुहर लगा दी है।
बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार (संशोधन) नियमावली 2022 पर मुहर लग गई। अभी तक प्रदेश में कॉमर्शियल या कांट्रेक्ट कैरिज वाहनों का परमिट एक बार आवेदन पर तीन माह के लिए सरेंडर होता था। तीन माह बाद दोबारा आवेदन करने पर तीन माह के लिए यह अवधि और बढ़ जाती थी।
अगर इसमें चूक हो जाती थी तो तीन माह का टैक्स भरना पड़ता था। अब नियमावली में संशोधन से पहली बार आवेदन करने वालों का परमिट अधिकतम छह माह के लिए सरेंडर हो जाएगा। अगर इसके बाद दोबारा आवेदन किया जाएगा तो इसमें भी तीन के बजाय छह माह तक और सरेंडर हो सकेगा। इसका लाभ उन वाहन स्वामियों को मिलेगा, जिनके वाहन सीजनल चलते हैं। जैसे खनन का सीजनल काम है। चारधाम यात्रा में चलने वाली कांट्रेक्ट कैरिज वाहन भी करीब छह माह खड़े रहते हैं। लिहाजा, जब वाहन नहीं चलेगा तो उसका टैक्स भी नहीं कटेगा।
सरकार ने उन चोरी, आपदा, दुर्घटना और वाहन जब्त होने की परिस्थितियों को भी अब विशेष मान लिया है। इन परिस्थितियों में वाहन को अनुपयोग की श्रेणी में माना जाएगा। उसका टैक्स जमा नहीं होगा ताकि ऐसी अवधि के लिए वाहनों पर टैक्स की देयता न बने।
इसके नियम-3 के तहत अब आरटीओ भी कराधार अधिकारी (टैक्सेशन ऑफिसर) नामित किया गया है। 2012 से पहले तक एआरटीओ व आरटीओ को यह पावर थी। 2012 में इसमें से आरटीओ को हटा दिया गया था। अब दोबारा शामिल किया गया है। नियमावली के नियम 9-क के तहत सीज वाहनों की नीलामी के लिए वरिष्ठतम आरटीओ की अध्यक्षता में नीलामी समिति का पुनर्गठन किया जाएगा। पहले परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में यह समिति होती थी। फिर तय हुआ था कि आरटीओ की अध्यक्षता में बनेगी। अब चूंकि आरटीओ प्रशासन और प्रवर्तन के पद हैं तो ऐसे में इनमें से वरिष्ठतम आरटीओ को यह जिम्मेदारी देने का निर्णय हुआ है।