ठंड भी कर रही परेशान
प्रभावितों ने कहा है कि अब जल्द ही शीतकाल शुरू हो जाएगा। ठंड में खुले स्टेडियम में रहना उनके लिए खासा मुश्किल होगा। ग्रामीणों ने अविलंब उनका विस्थापन कराए जाने की मांग की है।
पिथौरागढ़। दिवाली जहां खुशियां लेकर आती है, वहीं पिथौरागढ़ के धारचूला नगर में कुछ परिवार ऐसे हैं, जिनके चेहरे पर इस त्योहार में भी मायूसी छाई हुई है। तीन महीने पहले आई आपदा में अपना सब कुछ खो चुके ये परिवार खानाबदोशों की तरह राहत शिविरों में जिंदगी काट रहे हैं।
बारिश के कारण तीन माह तीन माह पूर्व धारचूला के खोतिला, मल्ली बाजार और देवल में हुए भूस्खलन में छह मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए थे। दर्जनों मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे। कई दुकानों में मलबा भर गया था। पेयजल लाइनें और आम मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। खतरे की आशंका को देखते हुए 52 परिवारों को जवाहर सिंह नबियाल स्टेडियम में बनाए गए राहत शिविर में रखा गया था।
तब प्रभावित परिवारों को भरोसा दिया गया था कि जल्द उनका विस्थापन किया जाएगा, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी इन परिवारों के विस्थापन की कार्यवाही नहीं हुई है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ राहत शिविरों में रह रहे ग्रामीण खासे मायूस हैं।
प्रभावित मंजू देवी ने कहा कि दीप पर्व को लेकर प्रभावितों में कोई उत्साह नहीं है। दशहरा भी आपदा प्रभावित नहीं मना सके। राहत शिविर में रह रहे छोटे-छोटे बच्चे आए दिन बीमार पड़ रहे हैं। उनका अधिकांश समय बच्चों को अस्पताल ले जाने में ही बीत जा रहा है। तमाम दुश्वारियां झेल रहे पीड़ित परिवार दीपावली मनाए भी तो कैसे।