रोपवे बनने के बाद कम हो जाएगा हेली सेवाओं का क्रेज
जानकारों का मानना है कि रोपवे बनने के बाद हेली सेवा से केदारनाथ की यात्रा करने का क्रेज कम हो जाएगा। सुरक्षित और किफायती होने की वजह से यात्री रोपवे या केबिल कार के माध्यम से यात्रा करना ज्यादा पसंद करेंगे। ऐसी स्थिति में हेली सेवाएं सीमित हो जाएंगी।
देहरादून। केदारनाथ रोपवे बनने के बाद राज्य में हेली सेवाएं सीमित हो जाएंगी। हिमालय की सर्वाधिक खतरनाक घाटियों में से एक केदारनाथ के लिए हेली टैक्सी यात्रा बेहद जोखिम भरी मानी जा रही है। आधिकारिक सूत्रों का मानना है कि रोपवे या केबिल कार का विकल्प खुल जाने के बाद केदारनाथ की हेली सेवा सीमित हो जाएगी।
केदारनाथ यात्रा के दौरान यात्रियों को ले जा रहे एक हेलीकॉप्टर के क्रैश होने के बाद राज्य की हेली सेवा सुरक्षा के लिहाज से सवालों के घेरे में है। यह चर्चा का विषय है कि केदारनाथ के लिए अंधाधुंध हेली टैक्सियों का संचालन यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से कितनी उचित है? पहली नजर में सरकार के नीति नियंताओं के हिसाब से रोपवे या केबिल कार हेली टैक्सी की तुलना बहुत अधिक सुरक्षित और किफायती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में हेली सेवाओं का संचालन हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। उनके मुताबिक, सरकार इन चुनौतियों को सामने रखकर इस तरह से काम करेगी, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास करने के बाद राज्य सरकार की यह कोशिश होगी कि रोपवे या केबिल कार का प्रोजेक्ट कम से कम एक से दो साल के भीतर बनकर तैयार हो जाए।
21 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ और बदरीनाथ धाम आ रहे हैं। इस दौरान वे राज्य के दो महत्वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे। इनमें से एक केदारनाथ केबिल कार का शिलान्यास शामिल है।
सोनप्रयाग से बनाए जाने वाले केदारनाथ रोपवे या केबिल कार परियोजना का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लि. को दिया गया है। एजेंसी परियोजना की डीपीआर तैयार कर रही है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि परियोजना को जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। करीब 9.70 किमी लंबी इस परियोजना पर 1268 करोड़ खर्च होंगे।