पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने बताया कि हिमालय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वायु, मिट्टी, जल, जंगल सहित भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
मुनिकीरेती (ऋषिकेश)। हिमालय दिवस पर परमार्थ निकेतन में हिमालय एक जलवायु नियंत्रक विषय पर आज से तीन दिवसीय सम्मेलन शुरू होने जा रहा है। सम्मेलन में राजनीतिक नेतृत्व, सामाजिक संगठन व विभिन्न वर्गों से बुद्धिजीवी सहभाग कर रहे हैं। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। इसमें उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालय, एफआरआई, वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी प्रतिनिधित्व करेंगे।
हिमालय की सुरक्षा के साथ भावी पीढ़ियों का जीवन भी सुरक्षित किया जा सके।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती और पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने कार्यक्रम की जानकारी साझा की। इस वर्ष हिमालय दिवस की ‘थीम हिमालय एक जलवायु नियंत्रक’ रखी गई है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक है। हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के साथ ही हिमालय जैव विविधता का अकूत भंडार भी है।
हिमालय केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए हिमालय का संरक्षण नितांत आवश्यक है।
पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने बताया कि हिमालय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वायु, मिट्टी, जल, जंगल सहित भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हो रही है, यह केवल भारत व एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरे का कारण है। इसलिए मानव जगत को अपनी जीवन शैली में बदलाव करने की आवश्यकता है, ताकि हिमालय की सुरक्षा के साथ भावी पीढ़ियों का जीवन भी सुरक्षित किया जा सके।