
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले एक संदिग्ध अभ्यर्थी पकड़ा गया है। गोपनीय जांच के बाद, गाजियाबाद के मोदीनगर के रहने वाले सुरेंद्र कुमार के खिलाफ शुक्रवार को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। सूत्रों के अनुसार, सुरेंद्र कुमार ने फर्जी दस्तावेज और जानकारियों का उपयोग करके तीन अलग-अलग आवेदन फॉर्म भरे। इसमें शैक्षिक प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और स्थायी प्रमाणपत्र शामिल हैं। प्रत्येक फॉर्म के लिए उसने तीन अलग-अलग मोबाइल नंबर और फर्जी इंप्लाई आईडी का उपयोग किया।
जांच में यह भी पता चला कि सुरेंद्र ने तीनों फॉर्मों में अपने पिता के नाम की स्पेलिंग बदलकर दाखिल की, ताकि पहचान मुश्किल हो सके। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि उसने ओबीसी प्रमाणपत्र और स्थायी प्रमाणपत्र दोनों फर्जी जमा किए, जिसमें स्थायी प्रमाणपत्र पर किसी प्रकार का हस्ताक्षर भी नहीं था। शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच में भी फर्जीवाड़ा स्पष्ट हुआ, जिसमें उसने तीन बार ग्रेजुएशन पास दिखाया। यह सभी काम उसने परीक्षा में अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से किए।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि 5 अक्टूबर 2025 को सहकारी निरीक्षक पद के लिए परीक्षा आयोजित होनी थी, इसलिए आयोग ने संदिग्ध अभ्यर्थी की पहचान के लिए पहले ही डेटा परीक्षण और गोपनीय जांच कराने का आदेश दिया था। जांच अधिकारी, एसओजी प्रभारी इंस्पेक्टर मुकेश त्यागी ने सुरेंद्र कुमार के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर दिया है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित की गई है और जल्द ही उसे हिरासत में लिया जाएगा।
यह मामला यूकेएसएसएससी की परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और अनुचित लाभ रोकने के प्रयासों को दर्शाता है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे किसी भी संदिग्ध मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी ताकि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और सटीक बनी रहे।