बागेश्वर : आपके बैंक खाते में 12 लाख रुपये तक की सेविंग है.. ये आपकी जिंदगी भर की कमाई है, जिसे आपने बड़ी मेहनत के साथ कमाया.. आपकी औलाद ने कुछ-कुछ पैसा भी आपको भेजा और आपने उसे खाते में जमा कराया. कुछ पेंशन भी आई. पासबुक में एंट्री भी है. आप मुतमइन हैं कि जिंदगी जीने के लिए आपने कुछ पैसा तो बचाकर रखा ही है. लेकिन एक दिन आपको पता चलता है कि आपके बैंक का असल बैलेंस तो 0 (जीरो) है. और तो और पासबुक तक फर्जी निकली. कोई खाता था ही नहीं. सोचिये आप पर क्या बीतेगी. ऐसा ही कुछ गुजर रहा है कि उत्तराखंड के बागेश्वर के 1500 से ज्यादा गांववालों पर… और ऐसा किया एक पोस्ट मास्टर ने.. आइये जानते हैं ग्राउंड से पूरी रिपोर्ट…
दरअसल, उत्तराखंड के बागेश्वर के सिमगढ़ी उपडाकघर में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. मामला काफी चौंकाने वाला है. इसमें 1500 से अधिक गांववालों की जिंदगी भर की बचत गायब हो गई है. गांव वालों के अनुसार, इस घोटाले में लगभग 2 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है, जिससे गांव वालों का डाकघर व्यवस्था से विश्वास टूट गया है. यह घोटाला तब सामने आया, जब सिमगढ़ी उपडाकघर का पोस्ट मास्टर फरार हो गया. परेशान ग्रामीणों ने अपनी पासबुक चेक कराई तो पाया कि उनके खातों में जमा किए गए लाखों रुपये गायब थे. जिन खातों में लाखों रुपये जमा थे, वे अब कुछ हजार या शून्य बैलेंस दिखा रहे हैं.
70 वर्षीय शारदा देवी, जिन्होंने चार साल में ₹2 लाख की बचत की थी, अब उनके खाते में मात्र ₹2,000 शेष हैं. वह कहती हैं, “मैंने अपनी बेटी की भेजी हुई थोड़ी-थोड़ी राशि और वृद्धावस्था पेंशन जमा की थी. अब सब कुछ गायब हो गया है.” रमेश राठौर, जिन्होंने सालों की मेहनत से ₹12 लाख जमा किए थे, अब उनके खाते में शून्य बैलेंस दिख रहा है. उन्होंने भरी आंखों से कहा, “यह हमारी जिंदगी की पूरी कमाई थी. अब हम क्या करेंगे?”
ठगी के शिकार ग्रामीण दिव्यांग बलवंत सिंह तो गजब ही हुआ. उन्होंने बताया कि 2016 से वो गाय-भैंस का दूध बेचकर जो भी बचत डाक घर में कर रहे थे, उसकी लिखित एंट्री तो पासबुक में पोस्ट मास्टर की ओर से दी जा रही थी.. लेकिन जब आज मैं भी अन्य लोगों के साथ कमेडीदेवी डाकघर पहुंचा और अपनी तीन पासबुक चेक करवाई तो पता चला इस पासबुक का कोई भी खाता डाक घर में है ही नहीं. साथ ही गांव से आए अन्य ग्रामीणों ने भी अपने पासबुक चेक करवाए तो कई अन्य पास बुक भी फर्जी निकले.
इस पूरे केस में एक खास बात ये भी है कि पीड़ित ग्रामीणों की शिकायत के बाद संबंधित विभाग द्वारा की जा रही जांच के दौरान लगभग 1500 ग्रामीणों के डाक घर के बचत खातों में से दर्जनों ऐसे खाते सामने आए, जिनमें ग्रामीणों के पास डाक घर की पासबुक तो है, लेकिन उन पासबुक का कोई भी खाता डाक घर में रजिस्टर्ड ही नहीं है. ग्राम प्रधान उत्तम राठौर के अनुसार, इस घोटाले से सिमगढ़ी और आसपास के गांवों के 1500 से अधिक खाताधारक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की कुल जमा राशि लगभग ₹2 करोड़ तक हो सकती है. अब पोस्ट ऑफिस का अधिकतर स्टाफ छुट्टी पर है और ग्रामीण अपनी जमा-पूंजी के लिए भटक रहे हैं.
घोटाले की जांच के लिए डाक विभाग की एक टीम सिमगढ़ी पहुंची, लेकिन जब इंस्पेक्टर अनिल व्यास ने ग्रामीणों से उनकी पासबुक जमा करने को कहा, तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि उनकी पासबुक ही जमा का एकमात्र सबूत है और अगर वे इसे भी सौंप देते हैं, तो वे पूरी तरह ठगे जाएंगे.
मुख्य डाक अधीक्षक राजेश बिनवाल ने कहा कि “मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. जांच के बाद सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी और हम दोषियों को सजा देंगे.”