देहरादून। दरोगा भर्ती धांधली में विजिलेंस इसी माह अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगी। इस मामले में 40 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। शासन ही निर्णय लेगा कि निलंबित दरोगाओं के खिलाफ क्या कार्रवाई करनी है। इस मामले में 20 दरोगा करीब एक साल से निलंबित चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से कई दरोगा ऐसे हैं जिनके खिलाफ धांधली के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। जबकि, कुछ के खिलाफ पैसे के लेनदेन के सुबूत विजिलेंस को मिल गए हैं।
पिछले साल जब यूकेएसएसएससी की परीक्षाओं में धांधली की जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक कई मामले खुले। एसटीएफ ने 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। इसी बीच मामला सामने आया कि 2015 में हुई दरोगा सीधी भर्ती में धांधली हुई है। सूत्रों के अनुसार कुल भर्ती हुए 339 दरोगाओं में से कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें अपना मूल काम भी करना नहीं आता है।
इस काम के लिए भी वह दूसरों का सहारा लेते हैं। ऐसे में इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई। विजिलेंस ने गत वर्ष आठ अक्तूबर हाकम सिंह समेत कई नकल माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। यह परीक्षा पंतनगर विवि की ओर से कराई गई थी। ऐसे में वहां के भी कुछ अधिकारियों के नाम इस मुकदमे में शामिल किए गए।
जांच के दौरान पुलिस मुख्यालय ने 20 संदिग्ध दरोगाओं को निलंबित कर दिया था। शक था कि इन लोगों ने पैसे देकर नौकरी हासिल की है। ऐसे में उनके और उनके रिश्तेदारों के खातों की जांच हुई। इस बीच पता चला कि कुछ लोगों ने अपनी जमीनें गिरवी रखकर नौकरी के सौदागरों को पैसे दिए हैं।
इनमें से कुछेक ने तो अपनी जमीन भी इन माफिया के पास गिरवी रखा है। तब से अब तक 40 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए गए। विजिलेंस की जांच पूरी जो चुकी है।