अल्मोड़ा। आम तौर पर बाएं हाथ से लिखने और अन्य कार्य करने को कमजोरी समझा जा सकता है। लेकिन जिले में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें जीवन के शुरुआती दौर में बाएं हाथ के प्रयोग करने पर परिजनों के साथ ही शिक्षकों और अन्य लोगों की टोकाटाकी का शिकार होना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी हावी नहीं होने दिया और इसे हथियार बनाकर सफलता का मुकाम हासिल किया है।
जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने बाएं हाथ से लिखकर मेडिकल की पढ़ाई की और अब इसी हाथ से दवा लिखकर मरीजों को राहत पहुंचा रहे हैं। वहीं नगर के एक स्वर्णकार अपने बाएं हाथ से अनेक आभूषण तैयार कर अपने हुनर की चमक बिखेर रहे हैं। लेफ्ट हैंडर्स जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष पंत ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बचपन से ही उन्हें लिखने के साथ ही अन्य कार्यों के लिए बाएं हाथ के प्रयोग की आदत बन गई।
लंबे समय तक परिजन उन्हें टोकते हुए आदत बदलने की कोशिश में जुटे रहे। लेकिन आदत नहीं बदली। बताया कि उन्होंने कभी भी बाएं हाथ के प्रयोग को कमजोरी नहीं समझा। प्राथमिक से लेकर मेडिकल की शिक्षा की पढ़ाई तक बाएं हाथ से ही लिखा। बताया कि उन्हें दवा लिखने और उपचार में कोई दिक्कत महसूस नहीं होती। अन्य लोगों को भी इसे कमजोरी न समझकर इसे हथियार के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
वहीं नगर के स्वर्णकार भुवन वर्मा ने भी कुछ ऐसा ही कहा। उन्होंने कहा परिजनों के साथ ही उनकी खुद की कोशिश भी काम नहीं आई और बाएं हाथ के प्रयोग की ऐसी आदत बनी कि अब वे इसी हाथ का अधिक प्रयोग कर हर तरह के आभूषण तैयार कर अपने हुनर की चमक बिखेर रहे हैं। उन्हें इस कमजोरी का कभी आभास भी नहीं होता। संवाद
लेफ्ट हैंडर्स होना आनुवांशिक नहीं
पेशे से चिकित्सक और खुद लेफ्ट हैंडर्स डॉ. मनीष पंत बताते हैं कि इसके पीछे आनुवांशिक कारण बताना केवल भ्रांति है। बताया कि यह स्वाभाविक क्रिया है। बताया कि दुनिया में महज 10 प्रतिशत ही लेफ्ट हैंडर्स हैं। लेफ्ट हैंडर्स बच्चों को हताश नहीं उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रेम से इसकी आदत बदलने की कोशिश होनी चाहिए।