रुद्रपुर। जिले में सरकारी जमीनों पर चिह्नित अतिक्रमण को हटाने के खिलाफ चल रहे अभियान के खिलाफ विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी नेता भी मुखर हो गए हैं। विपक्षी नेेता इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं सत्ताधारी नेता कुछ अधिकारियों पर अतिक्रमण की गलत व्याख्या कर मनमानी करने का दोष मढ़ रहे हैं। इस बहाने नेता बेदखली के नोटिस के बाद आशंकित परिवारों का बड़ा हमदर्द बनकर सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में हैं।
दरअसल जिले में पहले अवैध रूप से बनीं धार्मिक संरचनाओं, वन भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू हुआ था। इसके बाद विभिन्न सरकारी विभागों की जमीनों पर अवैध रूप से बनाए गए भवनों पर जेसीबी गरजनी शुरू हुई थी। जिले में अकेले सिंचाई विभाग ने ही पांच हजार से अधिक अतिक्रमण चिह्नित है।
इसके चलते जसपुर, किच्छा, खटीमा, सितारगंज सहित अन्य जगहों पर भवनों को तोड़ा गया, वहीं किच्छा सहित तमाम जगह पर लोगों को सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी किए गए। इसके खिलाफ जसपुर विधायक आदेश चौहान, खटीमा विधायक भुवन कापड़ी ने आवाज बुलंद की तो गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय ने भी उनके क्षेत्र में नोटिस पाने वाले लोगों को उजड़ने नहीं देने का आश्वासन दिया।
इतना ही नहीं उन्होंने डीएम से बात कही और रुद्रपुर, दिनेशपुर में पत्रकार वार्ता कर लोगों को नोटिस से नहीं घबराने की बात कही। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी जिले के अधिकारियों को अनावश्यक नोटिस नहीं देने के निर्देश दिए। रविवार को किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने पंतनगर में परिवारों का दुखड़ा सुनकर उनका साथ देने का दम भरा, वहीं भाजपा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला को भी लोगों के साथ विकास भवन में धरने पर बैठे। सोमवार को बेहड़ ने अतिक्रमण के खिलाफ डीएम कार्यालय पर धरना देने की घोषणा की है, वहीं सात जून को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी किच्छा में धरना देंगे।
अतिक्रमण हटाओ अभियान की मुखालफत में सत्ता- विपक्ष दोनों के नेता मुखर हैं और उनके निशाने पर नोटिस देने वाले विभागों के अफसर ही हैं। नेताओं को इस बहाने सियासी जमीन को सरकने से बचाना है, वहीं सरकारी बुलडोजर से आशियाने बचाने के लिए नेताओं के सामने जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाने की परिवारों की अपनी मजबूरी है। अतिक्रमण को लेकर श्रेय लेने की कोशिश किसके के लिए नफा और किसके लिए नुकसान बनती है, यह आने वाला वक्त बताएगा।