देहरादून। उत्तराखंड में अब जैविक खेती के साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार ने बजट में प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया है। तीन साल तक प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को सहायता राशि दी जाएगी। कृषि विशेषज्ञों ने भी बजट को किसानों के हित में बताया।
प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए 11 जिलों में 6400 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की है। इसमें 128 प्राकृतिक खेती कलस्टर बनाए जाएंगे। एक कलस्टर के अधीन औसतन 90 किसान शामिल होंगे, जो स्थानीय फसलों का उत्पादन में किसी तरह का रसायन और कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं करेंगे। गोबर से तैयार होने वाली खाद का प्रयोग किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के तीन सालों में एक करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए किसानों को सहायता दी जाएगी। इसके अलावा सूक्ष्म उर्वरक व कीटनाशक विनिर्माण के लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसोर्स केंद्र स्थापित किए जाएंगे। बजट में कृषि ऋण के लक्ष्य को 20 लाख करोड़ तक बढ़ाने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा बागवानी के लिए 22 करोड़ की आत्मनिर्भर स्वच्छ पौध कार्यक्रम शुरू करने का एलान किया गया। इस योजना से किसानों को बागवानी फसलों के अच्छी गुणवत्ता व रोगमुक्त युक्त पौधे उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 6000 करोड़ की नई योजना शुरू की जाएगी। इस योजना का लाभ उत्तराखंड को मिलेगा। प्रदेश सरकार ने भी राज्य में ट्राउट फिश उत्पादन बढ़ाने और मार्केटिंग की योजना बनाई है।
बजट में किसानों व बागवानों के हित में नई योजना का प्रावधान कर सराहनीय कदम उठाए गए। इसका लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा। कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाने से किसानों को खेती किसानी के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी। इसके साथ ही आत्मनिर्भर स्वच्छ पौध कार्यक्रम के माध्यम से बागवानों को अच्छी गुणवत्ता के पौध सामग्री मिलेगी।