देहरादून। प्रदेश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए सरकार इसकी रोकथाम की तैयारियों में जुट गई है। उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से कोविशील्ड की तीन लाख डोज मांगी है। वहीं मंगलवार को कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लगाए गए आक्सीजन प्लांट और आक्सीजन आपूर्ति के लिए कुल 700 स्थानों पर की गई व्यवस्थाओं को परखा गया। साथ ही अस्पतालों में वेंटिलेटर व आइसीयू बेड के अलावा अन्य सभी व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया गया।
राज्य में अभी तक केवल 25 प्रतिशत लोगों ने ही बूस्टर डोज लगाई है। कोविक्सीन की राज्य में उपलब्धता बनी है, लेकिन कोविशील्ड का स्टाक पूरी तरह खत्म है। देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, ऊधमिसंहनगर, नैनीताल, बागेश्वर आदि जिलों में वैक्सीन का संकट बना हुआ है।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में है। अभी स्वास्थ्य विभाग के पास कोविक्सीन के टीके उपलब्ध हैं, उससे ही टीकाकरण किया जा रहा है। तीन-चार दिन में वैक्सीन का अतिरिक्त स्टाक राज्य को उपलब्ध हो जाएगा। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आमजन पर खासी भारी पड़ी थी। स्थिति यह थी कि मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह कम पड़ गई थी। पहली लहर में चुनिंदा सरकारी अस्पताल ऐसे थे, जिनमें आक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगे थे।
नतीजतन लोगों को घरों में ही इलाज कराना पड़ा। स्थिति यहां तक पहुंची कि घर में इलाज करने वालों के लिए बाजार में आक्सीजन सिलिंडर कम पडऩे लगे थे। इसे देखते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाया गया। परिणाम स्वरूप आज राज्य में कुल 22428 आक्सीजन सिलिंडर, 9743 आक्सीजन कंसन्ट्रेटर और 86 आक्सीजन जेनरेशन प्लांट हैं। यह बात अलग है कि कोरोना लहर के कम होने के कारण इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हो पाया और ये बंद पड़े रहे। अब इन्हें फिर से चालू किया जा रहा है।
इसके अलावा प्रदेश में अभी 762 आइसीयू बेड, 8189 आक्सीजन सपोर्ट बेड और 1032 वेंटिलेटर हैं। अस्पतालों की इन व्यवस्थाओं को परखने के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार मंगलवार को मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। इसमें सभी चिकित्सा इकाइयों में कोरोना से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया गया।
मॉकड्रिल को सफल बनाने के लिए सचिव स्वास्थ्य डा आर राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से बैठक की और चिकित्सा इकाइयों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को इस मॉकड्रिल की कड़ी समीक्षा करने के निर्देश दिए। सचिव स्वास्थ्य ने भी स्वयं भी देहरादून में मॉकड्रिल की समीक्षा की।