देहरादून। प्रदेश में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए कटने वाले पेड़ों से प्राप्त इमारती लकड़ी का पैसा अब उसी के खाते में जाएगा, जिसकी जमीन से पेड़ काटे जाएंगे। पिछले दो साल से यह मामला शासन में लंबित था। अब इसका स्थायी समाधान कर दिया गया है। इस संबंध में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु की ओर से आदेश जारी किए गए हैं।
प्रदेश में विकास योजनाएं सड़क, संस्थान, प्रतिष्ठान, भवन इत्यादि के लिए काटे जाने वाले पेड़ों का काम वन विकास निगम की ओर से किया जाता है। वन निगम ही लाटो का कटान, गिरान, ढुलान और इस लकड़ी की बिक्री करता है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं था कि किस मद में कितना पैसा किसको जाएगा।
इस पर वन विकास निगम की ओर से प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था, लेकिन यह दो साल से लंबित था। अब इस पर फैसला लिया गया है। इसके तहत जिस किसी की भूमि पर पेड़ काटे जाएंगे, 90 प्रतिशत पैसा उसी के खाते में जाएगा, जबकि 10 प्रतिशत पैसा प्रशासनिक व्यय, ढुलान, डिपो में रखरखाव और इंश्योरेंस की एवज में वन विकास निगम के खाते में जाएगा।
आमतौर पर विकास परियोजनाओं के लिए वन विभाग की भूमि से ही पेड़ काटे जाते हैं, ऐसे में बीते दो सालों में वन विकास निगम के पास इस मद में 32 लाख रुपये जमा हुए हैं, इनमें से 30 लाख रुपये अब वन विभाग के खाते में जाएंगे, जबकि कुछ पैसा राजस्व व कुछ पैसा निजी भूमि के मालिकों के खाते में जाएगा। इस संबंध में वन विकास निगम की ओर से ही शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर शासन ने अब मुहर लगा दी है।