देहरादून। आयुर्वेद डॉक्टरों को डायनामिक एश्योर्ड कॅरिअर प्रोग्रेशन (डीएसीपी) का लाभ देने के लिए सरकार के फैसले के बाद भी शासनादेश जारी नहीं हुआ है। जिससे डॉक्टरों में काफी आक्रोश है। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ का कहना है कि जल्द ही लंबित मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होती है तो प्रदेश भर के आयुर्वेद डॉक्टर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डॉ. हरदेव सिंह रावत ने कहा कि पूर्व सरकार के समय मंत्रिमंडल में आयुर्वेद डॉक्टरों को डीएसीपी का लाभ देने का निर्णय लिया था। जिसका शासनादेश अभी तक नहीं हुआ है। इससे आयुर्वेद डॉक्टरों को डीएसीपी से वंचित हैं।
इसके अलावा 25 से 30 वर्ष की सेवा के बाद भी सेवानिवृत्त आयुर्वेद डॉक्टरों को पांच साल से पेंशन नहीं मिली है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में संबद्धता पर तैनात 26 डॉक्टरों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है।
संघ का कहना है कि आयुर्वेद डॉक्टरों की मांगों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। जिससे तीन सूत्रीय मांगों को लेकर डॉक्टरों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने सरकार व शासन से लंबित मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।